NDA Vs INDI Aliance Final : 04 June 2024

इतिहास का सबसे सुनहरा दिन : 4 June 2024

भारत की राजनीती मे 04 जुन का दिन सुनहरे अक्षर मे लिखा जायेगा?
क्योंकि जो समीकरण आज बने हुए है वो कभी नही बने थे? कांग्रेस जो आजादी के पहले से देश की राजनीती मे है वो ही 2014 से पहले तक राज मे रही और इसके खिलाफ ही दूसरे छोटे मोटे दल एकसाथ मिलकर राजनीती करते रहे और उन्होंने सरकार भी बनाई लेकिन वो ज़्यादा दिनों तक नहीं चली? वो समय था इंदिरा गांधी के समय और सोनिया गांधी के समय मे, बेसक सरकार बनी लेकिन कांग्रेस की मर्जी के बिना नहीं चली थी?

आज से पहले गठबंधन भी अनेक बने लेकिन वो एक साथ आए जिनकी अपनी अपनी विचार धारा लगभग सामान थी लेकिन 2024 मे जो गठबंधन बने है उसने विचार धारा का कोई सवाल नहीं है? यहाँ पर जो दल अपनी सरकार खो चुके है या खोने का जिन्हे डर है? वो एक साथ है और दूसरी और वो गठबंधन जो केंद्र व राज्यो मे सरकार बनाए हुए है? बीजेपी +

इंडि ग़ठ्बंधन को दूसरी नजर से देखे तो, वो दल जो आज तक सरकार बनाने के लिए आपस मे लड़ते हुए राजनीती करते आए थे, फिर सरकार बनने पर मन मर्जी के काम करते थे और एक साथ आने की कभी सोच भी नहीं सकते थे? लेकिन आज उनके खिलाफ हालात ऐसे बने की वो सब पार्टी एक साथ है और किसी भी सर्त को मानने को तैयार है?

इंडि ग़ठ्बंधन के साथी -एक राज्य मे ये पार्टी आपस मे चुनाव लड़ रही है तो दूसरे राज्य मे आपस मे गठबंधन कर रहे है और तीसरे जगह तो सभी सीटे बांट कर चुनाव लड़ रहे है? किसी पार्टी का कोई विचार धारा नहीं है की क्यो साथ है और क्यो अलग लड़ रहे है कारण केवळ बीजेपी और उसके साथियो को हराना है फिर चाहे आपस मे प्रधान मंत्री के पद व सरकार को 1991-1998 की तरह ही बाँटना पड़े? देश का चाहे कितना भी नुकसान हो लेकिन इन्हे सरकार मे हिस्से दारी चाहिए? सारे फ्री ओर लालच वाले दावे कर रहे हैं ? कोंगरेस कि सर्व धर्म समान कि निती भी नही रहि वोअब खुलकर मुशलमानो को अपनी ओर करने के लिए अनेक वादे कर रही हैं? शिव्सेना बालठाकरे ने भी अपनी कट्ररहिंदु निती को त्याग दिया हैं ओर जो एन.सी.पी कांग्रेस से अपनी अलग विचार धारा के लिए बनी थी वो भी अब कोंग्रेस के साथ हैं?

इसी तरह ही लेफ्ट, राईट ओर ममता दिदि अपने सभी विचारो को छोड. कर एक साथ चुनाव लड. रहे हैं ? जबकि इसी विचार धारा के लिए हि पार्टि के अनेक कार्यकरता आपस मे लड.कर मर गए लेकिन अब ये सब एक साथ आ गए? साउथ कि तरफ तो अलग हि विचार थे कि हिंदि हित वाली पार्टि से तालमेल नहि करना लेकिन वो भी इसी गठबंधन मे आ गए हैं ?

दूसरी तरफ जो पार्टी है उनमे मुख्य रूप से बीजेपी है बाकी सभी राज्य स्तर की पार्टी है लेकिन बीजेपी का वोट विकास, विजन और सही विदेश नीति के साथ राष्ट् प्रथम व देश हित की योजना व कार्य के दम पर वोट मांग रही है? बीजेपी कि सरकार ने जो मुद्दे कभी हल नही होने वाले थे उन्हे हल किया जेसे – कसमीर से धारा 370 ओर 35ए को हटाना ओर राम मंदिर के झगडे. को खतम कर दिया हैं ओर देश कि सेना के लिए नए जमाने के हथियार ओर देश मे बना सामान प्रयोग करने के साथ फोज को अपने हिसाब से काम करने को कह रखा हैं ओर अतंकवाद पर तो सबसे ज्यादा चोट कि गई हैं ओर देश मे सड.को का जाल बिछा दिया हैं ओर रेलवे मे अनेक बदलाव लाए हैं जो आगे चलकर दिखाई देंगे, साथ ही देश मे एमस ओर एयर पोर्ट काफी बनाए गए हैं देश मे खास तोर से युपी मे माहोल सबसे जयादा बदल दिया गया हैं

देश मे काला बाजारी ओर भ्र्स्टाचार के खिलाफ काम हो रहा हैं देश कि विदेश निती सखत हो गई हैं देश के प्रधान मंत्री को अब बहार कि जनता ओर सरकारे सुनती हैं ओर जो आज दुनिया का माहोल बना हुआ हैं यदि इस समय कोई दुसरी सरकार होती तो जो युध दुसरे देशो के साथ चल रहा हैं वो अपने उप्पर थोप दिया जाता ओर मह्गाई कि मार सबसे ज्यादा यहाँ पर होती जो कि अनेक बडे. देशो से अब कम हैं ओर दुसमन देश भी चार बार विचार करता हैं की कोई उनसे गलती ना हो जाए ?

अब देखना यह है की, 4 जून 2024 को यदि मोदीजी की सरकार, पुरे बहुमत से बनी तो पुरे विपक्ष का क्या कहना होगा? जनता के फैसले को स्वीकार करेंगे या फिर EVM पर रोना रोएँगे? लेकिन जिस वजह से ये सभी बीजेपी के खिलाफ एक साथ आए हैं उसे जनता समझ लेती हैं ओर इन्हे संसद मे जाने से रोक देती हैं तो आने वाला समय इन सभी दलो के लिए बहुत ही खराब होगा क्योकी जो इन्होने गलत किए हैं उसके लिए इनपर कानुनी कार्यवाही होगी ओर ये अपने आगे के राजनितिक सफर को सही से नही चला पायेंगे, अत: यदि इस बार ये नहीं जीते तो इनका सफर यही रुकना तय है? ओर इसी बात को सोच कर सभी पार्टिया एक साथ आए हैं क्योकि अपने हित तो तभी साधेगे जब वो सरकार मे होंगे ? नहि तो सब हाथ से जाने वाला हैं ?

लेकिन एक बात साफ हैं यदि मोदीजी फिर से आ गए तो 2029 तक ये सभी पार्टी अपने आप को बचा पाती है की जनता इन्हे अपने आप नकार देती है? क्योंकि जैसे मोदीजी काम कर रहे है? उस हिसाब से 2029 मे जनता अपने आप बीजेपी को वोट करेंगी? चाहे मोदीजी रहे या ना रहे?

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